बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी में देश के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे का अलाइनमेंट टेस्टिंग शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में बन रहे इस रोपवे का मकसद शहर के ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करना है। यह रोपवे कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक बनाया जा रहा है। फिलहाल काशी विद्यापीठ और रथयात्रा स्टेशनों के बीच केबल डालकर गोंडोला की टेस्टिंग हो रही है। अनुमान है कि फरवरी में इसका ट्रायल रन शुरू हो सकता है और नवंबर 2025 तक इसे यात्रियों के लिए खोलने की योजना है।
मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा के मुताबिक, रोपवे का परीक्षण अलग-अलग चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में काशी विद्यापीठ से रथयात्रा स्टेशन के बीच अलाइनमेंट टेस्टिंग चल रही है। इसके बाद लोड टेस्टिंग होगी, जिसमें रोपवे की क्षमता और सुरक्षा मानकों की जांच की जाएगी। इस प्रक्रिया में करीब छह महीने लगने की उम्मीद है। जैसे-जैसे अन्य स्टेशन बनकर तैयार होंगे, वहां भी टेस्टिंग शुरू की जाएगी।
यह परियोजना 644 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही है और कुल 3.7 किलोमीटर लंबी होगी। इस रोपवे में पांच स्टेशन होंगे—कैंट रेलवे स्टेशन, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर और गोदौलिया चौराहा। रोपवे की ट्रॉलियां सड़क से 50 मीटर ऊपर चलेंगी और प्रत्येक ट्रॉली में 10 लोग सफर कर सकेंगे। पूरे ट्रांसपोर्ट सिस्टम में कुल 137 ट्रॉलियां होंगी, जो दोनों दिशाओं में प्रति घंटे 600 यात्रियों को ले जाने में सक्षम होंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। उन्होंने इसके डिजिटल मॉडल का अवलोकन भी किया था। वाराणसी के लिए यह रोपवे न केवल ट्रैफिक समस्या का समाधान लाएगा बल्कि शहर के पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। अगर सभी टेस्ट सफल रहते हैं, तो इस साल दिवाली से पहले इसे आम जनता के लिए शुरू कर दिया जाएगा, जिससे वाराणसी के लोगों को एक आधुनिक और तेज़ परिवहन सेवा मिलेगी।